Friday, September 25, 2009

चाँद,पानी और दिल्ली जल बोर्ड

भाई चाँद पे पानी मिल गया है 
जैसे ही यह खबर आई 
दिल्ली जल बोर्ड ने तुंरत गुहार लगायी 
की अब चाँद के पानी की ज़िम्मेदारी हमे सौंप दी जाये 
जिस से की हम उसके सदुपयोग की कोई स्कीम बनाये 
जैसे हम ने दिल्ली की नयाँ पार लगायी है 
वैसे ही हम चाँद को भी हरा भरा कर देंगे 
आप चिंता न करे वंहा भी एक यमुना कस देंगे 
इस में तो हम लोगो को महारत है
आप तो बस फंड्स क्लेअर कर दीजिये 
किस के हिस्से में कितना आएगा वो हम खुद ही तय कर लेंगे 

वो बात अलग है की 
नलो में पानी नहीं आता 
आम आदमी बूँद बूँद को तरस जाता 
जब कभी पानी अपने दर्शन करवाता 
आधे शहर की जान ले जाता 
तब दिल्ली जल बोर्ड सब को समझाता  
अरे भाई वो डिपार्टमेन्ट हमारे अंडर नहीं आता 







Monday, September 21, 2009

और मैं चल पड़ा...

मेरे दर्द में कोई कभी रोने नहीं आया
मेरे ज़ख्मो पर मरहम कोई मलने नहीं आया


सभी मुझ को पता देते रहे मंजिल का बार बार
मगर कोई भी मेरे साथ में चलने नहीं आया


उजालो में भी कई बार बुलाया 
पर मैंने उन्हें भी हाथ न लगाया 


पर जब चड़ने लगा अंधेरा चाँद को घेर कर
तब मैंने ज़िन्दगी का दीपक फिर से जलाया


गम को सीचना मेरी आदत नहीं
क्या हुआ गर ज़िन्दगी ने मुझे  कुछ देर रुलाया


धुप अटकी थी बादलो के बीच कहीं
मैंने खीच कर उसे ,उत्सव मनाया


हर उजाले  से अब मेरी दोस्ती है यारो 
कौन कहता है की मुझे कभी किसी में था सताया 


मैं गिरा , गिर कर उठा , फिर चला
ज़िन्दगी का जो मज़ा तब आया ऐसा कभी नहीं आया....


और मैं चल पड़ा ज़िन्दगी जीने...



Tuesday, May 12, 2009

माँ कितनी ख़ास हो तुम


सूरज का गुमान हो तुम
चाँद की मिठास हो तुम
नदिया की प्यास हो तुम
माँ कितनी ख़ास हो तुम ।

तुम न होती तो मैं न होता
तुम ने जो दिया जीवन रूपी अनमोल तोहफा
जनम जनम तक ऋणी हु तेरा
धूप में छाव हो तुम
प्यास में अमृत पान हो तुम
माँ कितनी ख़ास हो तुम ।
अपनी नींद दे कर मुझे सुलाया
मैं गिरा तो मुझे उठाया
दुनिया से लड़ना तुम्हें ने सिखाया
मेरी शक्ति ,मेरा अभिमान हो तम
माँ कितनी ख़ास हो तुम।


जग को जीवन दिया है तुमने
मौत को भी हराया है
तेरी शक्ति के आगे कोई नहीं टिक पाया है
ममता की मूरत , भगवान् का वरदान हो तुम
कठोर पर भी प्यार की फुहार हो तुम
माँ कितनी ख़ास हो तुम ।
सारे दुःख मेरे,अपने आँचल में भर लेती हो
सारे सुख मुझ पे कर देती हो
सारा जग है झूठा बस यही एक सच है पूरा
माँ से बड़ा भगवान् न दूजा
माँ को समझाए ऐसे शब्द कहाँ से लाऊ
किन शब्दों में बताऊ
की कितनी ख़ास हो तुम माँ




Wednesday, April 22, 2009

8 से 12 का अधिकार

1
घर पंहुचे तो भूक से था बेहाला
पत्नी जी कर रही थी टीवी से आँखे चार
हमने कहा है प्रिये कुछ पेट पूजा करा दो।
बोली ठहरो ज़रा मिहिर का हो जाए काम तमाम ,
फ़िर लूगी आप से इंतकाम
सुनते ही हम डर गए एक कोना पकड़ कर हम भी टीवी से चिपक गए...
2
आज के सीरियल्स बड़े दिउरेबल  होते है
सदियों गरंटी के साथ आते है
सब कुछ ठीक होगा इसे उम्मीद पर
हम भी इन्हे देखते चले जाते है...
3
एक पतिव्रता के कम से कम 5 पति
और पत्नी के पुजारी ने कईयो की ज़िन्दगी सवारी
आधा जीवन षडयंत्र करने में और बाकी पतियों की गिनती में निकल जाए
हाय ये सीरियल वाले क्या क्या रंग दिखाए.....
4
कौन मरा और किस ने किस के बेटे को जना
यह समझने में निकल जाते है कई कई साल
एकता में खंडता का पैगाम लिए
जोइंट फॅमिली वाले यह सीरियल जिंदाबाद जिंदाबाद...
5
शक्ल बदलती पर इंसान न बदले
भाई क्या करे 500 साल जिंदा रहने का कांट्रेक्ट जो भरते
अरे भूत पिशाच भी इतना नहीं भटकते
हे प्रभु तुम इन पर इतनी  कृपा क्यो करते …।

और बस....
इसी तरह होती रहती जोइंट फॅमिली में हाहाकार
और हो जाता हर पत्नी का 8 से 12 टीवी पर अधिकार

जिन्दगी जीतना है

जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा ??
हारा नहीं तो जिन्दगी मे जिया कैसा दुःख तो आएगा,
पर लड़ा नही तो हंस कैसे पाएगा
आगे बड़ जिन्दगी जीने के लिए है
गिरा नहीं तो खड़ा कैसे हो पाएगा
जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा
इस भाग दौड़ को जिन्दगी ना कह
जिन्दगी को जिन्दगी कहने के लिए वक़्त दे
अंसुओ मैं डुबो दिया तो रोती हुई चली जायेगी
उठ , आगे बड़ रोक ले उसे…।वरना छोड के चली जायेगी
जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा.....

कुछ तो कमी हो....

आदमी पूरा हुआ तो देवता बन जायेगा कुछ कमी तो बाकी रहे ।
दुनिया की सारी खुशिया पाने के लिए भी
आखों में कुछ नमी बाकी रहे,
दुश्मनी में भी इतना मज़ा हो
कही दोस्ती बाकी रहे ,
मेरे प्यार की उम्र इतनी हो की
अगले जनम तक मेरी याद बाकी रहे ,
मेरी जुल्फ की कालिख में जब खो जाए तू
अपने प्यार के आगाज़ का एहसास बाकि रहे ।

उल्लू बनते जाईये…

जो भी मिले उल्लू बनते जाईये…हर ठग को अपना आदर्श मानते जाईये।
शर्म हया को रखो ताक में ,उल्लू बनने की कला सीखते जाईये।
शान से चांदी का जूता पहन कर ,जिस का सर मिले उससे बजाते जाइये।
किसी को ठग ने में क्या जाता है ??इंसान ही तो इंसान के काम आता है,
मुर्ख को मुर्ख बनाना में क्या घबराना
इसे अपना धर्मं मान का आगे बदते जाईये।
सफलता की सीढ़ी चढ़ते जाइए
जो भी मिले उल्लू बनते जाइए ।