Wednesday, April 22, 2009

जिन्दगी जीतना है

जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा ??
हारा नहीं तो जिन्दगी मे जिया कैसा दुःख तो आएगा,
पर लड़ा नही तो हंस कैसे पाएगा
आगे बड़ जिन्दगी जीने के लिए है
गिरा नहीं तो खड़ा कैसे हो पाएगा
जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा
इस भाग दौड़ को जिन्दगी ना कह
जिन्दगी को जिन्दगी कहने के लिए वक़्त दे
अंसुओ मैं डुबो दिया तो रोती हुई चली जायेगी
उठ , आगे बड़ रोक ले उसे…।वरना छोड के चली जायेगी
जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा.....

No comments: