Wednesday, April 22, 2009

8 से 12 का अधिकार

1
घर पंहुचे तो भूक से था बेहाला
पत्नी जी कर रही थी टीवी से आँखे चार
हमने कहा है प्रिये कुछ पेट पूजा करा दो।
बोली ठहरो ज़रा मिहिर का हो जाए काम तमाम ,
फ़िर लूगी आप से इंतकाम
सुनते ही हम डर गए एक कोना पकड़ कर हम भी टीवी से चिपक गए...
2
आज के सीरियल्स बड़े दिउरेबल  होते है
सदियों गरंटी के साथ आते है
सब कुछ ठीक होगा इसे उम्मीद पर
हम भी इन्हे देखते चले जाते है...
3
एक पतिव्रता के कम से कम 5 पति
और पत्नी के पुजारी ने कईयो की ज़िन्दगी सवारी
आधा जीवन षडयंत्र करने में और बाकी पतियों की गिनती में निकल जाए
हाय ये सीरियल वाले क्या क्या रंग दिखाए.....
4
कौन मरा और किस ने किस के बेटे को जना
यह समझने में निकल जाते है कई कई साल
एकता में खंडता का पैगाम लिए
जोइंट फॅमिली वाले यह सीरियल जिंदाबाद जिंदाबाद...
5
शक्ल बदलती पर इंसान न बदले
भाई क्या करे 500 साल जिंदा रहने का कांट्रेक्ट जो भरते
अरे भूत पिशाच भी इतना नहीं भटकते
हे प्रभु तुम इन पर इतनी  कृपा क्यो करते …।

और बस....
इसी तरह होती रहती जोइंट फॅमिली में हाहाकार
और हो जाता हर पत्नी का 8 से 12 टीवी पर अधिकार

जिन्दगी जीतना है

जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा ??
हारा नहीं तो जिन्दगी मे जिया कैसा दुःख तो आएगा,
पर लड़ा नही तो हंस कैसे पाएगा
आगे बड़ जिन्दगी जीने के लिए है
गिरा नहीं तो खड़ा कैसे हो पाएगा
जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा
इस भाग दौड़ को जिन्दगी ना कह
जिन्दगी को जिन्दगी कहने के लिए वक़्त दे
अंसुओ मैं डुबो दिया तो रोती हुई चली जायेगी
उठ , आगे बड़ रोक ले उसे…।वरना छोड के चली जायेगी
जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा.....

कुछ तो कमी हो....

आदमी पूरा हुआ तो देवता बन जायेगा कुछ कमी तो बाकी रहे ।
दुनिया की सारी खुशिया पाने के लिए भी
आखों में कुछ नमी बाकी रहे,
दुश्मनी में भी इतना मज़ा हो
कही दोस्ती बाकी रहे ,
मेरे प्यार की उम्र इतनी हो की
अगले जनम तक मेरी याद बाकी रहे ,
मेरी जुल्फ की कालिख में जब खो जाए तू
अपने प्यार के आगाज़ का एहसास बाकि रहे ।

उल्लू बनते जाईये…

जो भी मिले उल्लू बनते जाईये…हर ठग को अपना आदर्श मानते जाईये।
शर्म हया को रखो ताक में ,उल्लू बनने की कला सीखते जाईये।
शान से चांदी का जूता पहन कर ,जिस का सर मिले उससे बजाते जाइये।
किसी को ठग ने में क्या जाता है ??इंसान ही तो इंसान के काम आता है,
मुर्ख को मुर्ख बनाना में क्या घबराना
इसे अपना धर्मं मान का आगे बदते जाईये।
सफलता की सीढ़ी चढ़ते जाइए
जो भी मिले उल्लू बनते जाइए ।