मुझे खुश होना है
ख़ुशी में ही हँसना है और ख़ुशी में ही रोना है
पर मुझे खुश होना है .....
पहले की बात और थी...
खुश होने के लिए हर चीज़ मौजूद थी
धुप से ,हवा से ख़ुशी की महक आया करती थी
खुश होने में मज़ा आता था
ख़ुशी में मन न जाने कितने गीत गाता था
पर एक दिन एक चोर आया और सब ले गया
और ....... और मुझे यूँही उदास छोड़ गया
एक उदास परछाई अब पीछे पीछे चलने लगी है
सहर को ,दोपहर को और शाम को डसने लगी है ....
कुछ अनोखा नहीं रहा ज़िन्दगी में
बस एक चुप्पी साथ साथ चलने लगी है
अब बहुत दिन हुए ख़ुशी को देखे हुए
मुझे मेरी वो चीज़े कोई तो ला दो ,
खुश होने की मुझे भी तो कोई वजह दो .....