Sunday, May 8, 2011

मुझे खुश होना है

मुझे  खुश  होना  है
  
ख़ुशी   में  ही  हँसना है  और  ख़ुशी  में  ही  रोना  है  
पर  मुझे  खुश  होना  है  .....

पहले  की  बात  और  थी...

खुश  होने  के  लिए  हर  चीज़  मौजूद  थी 
धुप  से  ,हवा  से  ख़ुशी  की  महक  आया  करती  थी  
खुश  होने  में  मज़ा  आता  था 
ख़ुशी  में  मन  न  जाने  कितने  गीत  गाता  था 

पर  एक  दिन एक चोर आया और सब  ले  गया  
और ....... और  मुझे  यूँही   उदास  छोड़  गया  

एक  उदास  परछाई  अब  पीछे  पीछे  चलने  लगी  है  
सहर को ,दोपहर  को  और  शाम  को  डसने  लगी  है ....

कुछ  अनोखा नहीं  रहा  ज़िन्दगी  में  
बस  एक  चुप्पी  साथ  साथ  चलने  लगी  है  

अब बहुत दिन हुए ख़ुशी को देखे हुए 
मुझे  मेरी  वो   चीज़े  कोई  तो  ला  दो , 
खुश  होने  की  मुझे  भी  तो  कोई  वजह  दो ..... 

Friday, September 24, 2010

मम्मी पापा

हमारी सारी बातें ,चहल-पहल है मम्मी पापा 
रास्ता मंजिल , धूल  , दुपहरी घर संसार है मम्मी पापा 

घर की सारी बुनियादे , दीवारे बमों-दर है मम्मी पापा
सब को बंद के रखने वाले हमारी सबसे बड़ी सौगात है मम्मी पापा 


दिन भर चक्की जैसे पिसते, घिसते रोज़ मशीनों से
सांझ ढले फिर भी हंसने का एक हुनर हैं पापा मम्मी

भीतर से खालिस सोने जैसे , उपर से तेज़ - दीप्तिमान 
अलग-अनूठा ,अनाभुझा एक तेवर है मम्मी पापा 

हम क्या जाने दुनिया दारी, हम क्या जाने हंगामा
हर दिन की हिदायत , डांट डपट और दुलार  हैं पापा मम्मी


गिर गिर कर हमने उनसे, चलते रहना सीखा है
रस्ता, मंज़िल, छइयां, पानी, रफ़्तार  हैं पापा मम्मी

हम जब भी टूटे है , इन् दोनों ने जोड़ा है 
कच्ची-पक्की डोरी है , हमारा गर्व और अभिमान है मम्मी पापा 

कभी बड़ा सा हाथ ख़र्च थे, कभी पड़ी माथे की सिलवट 
मन का साहस, कभी धेर्य कभी सब्र का आसार है मम्मी पापा 

सपनो का आसमान और सपनो का साकार 
हर मझदार , हर सवाल का सबसे आसन जवाब है मम्मी पापा 

जीवन की पहली पंक्ति , हर गलती का पहला बचाव 
सबसे प्यारे , सबसे पूज्य आपका शुक्राना हैं मम्मी  पापा 

Friday, September 25, 2009

चाँद,पानी और दिल्ली जल बोर्ड

भाई चाँद पे पानी मिल गया है 
जैसे ही यह खबर आई 
दिल्ली जल बोर्ड ने तुंरत गुहार लगायी 
की अब चाँद के पानी की ज़िम्मेदारी हमे सौंप दी जाये 
जिस से की हम उसके सदुपयोग की कोई स्कीम बनाये 
जैसे हम ने दिल्ली की नयाँ पार लगायी है 
वैसे ही हम चाँद को भी हरा भरा कर देंगे 
आप चिंता न करे वंहा भी एक यमुना कस देंगे 
इस में तो हम लोगो को महारत है
आप तो बस फंड्स क्लेअर कर दीजिये 
किस के हिस्से में कितना आएगा वो हम खुद ही तय कर लेंगे 

वो बात अलग है की 
नलो में पानी नहीं आता 
आम आदमी बूँद बूँद को तरस जाता 
जब कभी पानी अपने दर्शन करवाता 
आधे शहर की जान ले जाता 
तब दिल्ली जल बोर्ड सब को समझाता  
अरे भाई वो डिपार्टमेन्ट हमारे अंडर नहीं आता 







Monday, September 21, 2009

और मैं चल पड़ा...

मेरे दर्द में कोई कभी रोने नहीं आया
मेरे ज़ख्मो पर मरहम कोई मलने नहीं आया


सभी मुझ को पता देते रहे मंजिल का बार बार
मगर कोई भी मेरे साथ में चलने नहीं आया


उजालो में भी कई बार बुलाया 
पर मैंने उन्हें भी हाथ न लगाया 


पर जब चड़ने लगा अंधेरा चाँद को घेर कर
तब मैंने ज़िन्दगी का दीपक फिर से जलाया


गम को सीचना मेरी आदत नहीं
क्या हुआ गर ज़िन्दगी ने मुझे  कुछ देर रुलाया


धुप अटकी थी बादलो के बीच कहीं
मैंने खीच कर उसे ,उत्सव मनाया


हर उजाले  से अब मेरी दोस्ती है यारो 
कौन कहता है की मुझे कभी किसी में था सताया 


मैं गिरा , गिर कर उठा , फिर चला
ज़िन्दगी का जो मज़ा तब आया ऐसा कभी नहीं आया....


और मैं चल पड़ा ज़िन्दगी जीने...



Tuesday, May 12, 2009

माँ कितनी ख़ास हो तुम


सूरज का गुमान हो तुम
चाँद की मिठास हो तुम
नदिया की प्यास हो तुम
माँ कितनी ख़ास हो तुम ।

तुम न होती तो मैं न होता
तुम ने जो दिया जीवन रूपी अनमोल तोहफा
जनम जनम तक ऋणी हु तेरा
धूप में छाव हो तुम
प्यास में अमृत पान हो तुम
माँ कितनी ख़ास हो तुम ।
अपनी नींद दे कर मुझे सुलाया
मैं गिरा तो मुझे उठाया
दुनिया से लड़ना तुम्हें ने सिखाया
मेरी शक्ति ,मेरा अभिमान हो तम
माँ कितनी ख़ास हो तुम।


जग को जीवन दिया है तुमने
मौत को भी हराया है
तेरी शक्ति के आगे कोई नहीं टिक पाया है
ममता की मूरत , भगवान् का वरदान हो तुम
कठोर पर भी प्यार की फुहार हो तुम
माँ कितनी ख़ास हो तुम ।
सारे दुःख मेरे,अपने आँचल में भर लेती हो
सारे सुख मुझ पे कर देती हो
सारा जग है झूठा बस यही एक सच है पूरा
माँ से बड़ा भगवान् न दूजा
माँ को समझाए ऐसे शब्द कहाँ से लाऊ
किन शब्दों में बताऊ
की कितनी ख़ास हो तुम माँ




Wednesday, April 22, 2009

8 से 12 का अधिकार

1
घर पंहुचे तो भूक से था बेहाला
पत्नी जी कर रही थी टीवी से आँखे चार
हमने कहा है प्रिये कुछ पेट पूजा करा दो।
बोली ठहरो ज़रा मिहिर का हो जाए काम तमाम ,
फ़िर लूगी आप से इंतकाम
सुनते ही हम डर गए एक कोना पकड़ कर हम भी टीवी से चिपक गए...
2
आज के सीरियल्स बड़े दिउरेबल  होते है
सदियों गरंटी के साथ आते है
सब कुछ ठीक होगा इसे उम्मीद पर
हम भी इन्हे देखते चले जाते है...
3
एक पतिव्रता के कम से कम 5 पति
और पत्नी के पुजारी ने कईयो की ज़िन्दगी सवारी
आधा जीवन षडयंत्र करने में और बाकी पतियों की गिनती में निकल जाए
हाय ये सीरियल वाले क्या क्या रंग दिखाए.....
4
कौन मरा और किस ने किस के बेटे को जना
यह समझने में निकल जाते है कई कई साल
एकता में खंडता का पैगाम लिए
जोइंट फॅमिली वाले यह सीरियल जिंदाबाद जिंदाबाद...
5
शक्ल बदलती पर इंसान न बदले
भाई क्या करे 500 साल जिंदा रहने का कांट्रेक्ट जो भरते
अरे भूत पिशाच भी इतना नहीं भटकते
हे प्रभु तुम इन पर इतनी  कृपा क्यो करते …।

और बस....
इसी तरह होती रहती जोइंट फॅमिली में हाहाकार
और हो जाता हर पत्नी का 8 से 12 टीवी पर अधिकार

जिन्दगी जीतना है

जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा ??
हारा नहीं तो जिन्दगी मे जिया कैसा दुःख तो आएगा,
पर लड़ा नही तो हंस कैसे पाएगा
आगे बड़ जिन्दगी जीने के लिए है
गिरा नहीं तो खड़ा कैसे हो पाएगा
जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा
इस भाग दौड़ को जिन्दगी ना कह
जिन्दगी को जिन्दगी कहने के लिए वक़्त दे
अंसुओ मैं डुबो दिया तो रोती हुई चली जायेगी
उठ , आगे बड़ रोक ले उसे…।वरना छोड के चली जायेगी
जिन्दगी जीतना है तो हार का डर कैसा.....